वड़वानल -04
लेखक: राजगुरू द. आगरकर अनुवाद: आ. चारुमति रामदास 4. भरे–पूरे, सुदृढ़ शरीर का यादव गुरु से दो–एक साल बड़ा था और सीनियर था । गुरु स्वभाव से आक्रामक प्रवृत्ति का था । वेंदुरथी पर छोटे–से आक्रामक गुट का वह नेता भी था । ‘‘हिन्दुस्तानी सैनिक ब्रिटिश सैनिकों से किस बात में कम हैं…
Read Moreवड़वानल – 03
लेखक: राजगुरू द. आगरकर अनुवाद: आ. चारुमति रामदास उस दिन गुरु ने मुम्बई बेस से आए हुए दो सन्देश देखे और उसका माथा ठनका। पहला सन्देश था – ”Ten officers arriving by Bombay Central Mail. Request arrange reception.” दूसरा सन्देश था – ”Five Ratings despatched by train.” ‘कहते हैं Ratings Despatched – अरे डिस्पैच …
Read Moreवड़वानल – 02
लेखक: राजगुरू द. आगरकर अनुवाद: आ. चारुमति रामदास जहाज़ पर उन्हें तीन पंक्तियों में खड़ा किया गया । उनके साथ आए हुए पेट्टी अफसर ने उन्हें जहाज़ के पेट्टी अफसर के हवाले किया । हाथ की छड़ी मार–मारकर हरेक की नाप ली गई । गुरु के मन में सन्देह उठा, ‘‘हम सैनिक हैं या …
Read Moreवड़वानल – 01
लेखक: राजगुरु दतात्रेय आगरकर ; अनुवाद : आ. चारुमति रामदास ऐसा कितने साल चलेगा ? जनवरी का महीना खत्म होते–होते वह अभी भी बेचैन हो जाता है और फिर पूरे महीने वह ऐसे रहता है मानो पूरी तरह विध्वस्त हो चुका हो । सदा चमकती आँखों की आभा और मुख पर विद्यमान तेज लुप्त हो…
Read Moreवड़वानल
सन् 1946 के नौसैनिकों के विद्रोह पर आधारित उपन्यास वडवानल लेखक राजगुरू दत्तात्रेय आगरकर हिंदी अनुवाद आ. चारुमति रामदास अनुवादिका का प्रतिवेदन पिछले वर्ष मार्च में प्रो. आगरकर जी ने फोन पर मुझसे पूछा कि क्या मैं नौसेना विद्रोह पर आधारित उनके उपन्यास ‘वड़वानल’ का हिन्दी में अनुवाद कर सकूँगी ? प्रो. आगरकर से मेरा ज़रा–सा भी परिचय नहीं था…
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