रिश्तों का सफ़र
ज़िन्दगी के रिश्तों का
पुरपेच घुमावदार सफ़र
पहाड़ के घुमावदार रास्तों से
कुछ कम तो नहीं
पहाड़ की ख़ूबसूरत
ऊँचाइयों पर पहुँचने के लिए
यह दुर्गम सफ़र
तय करना ही पड़ता है
ज़िंदगी में भी
रिश्तों का सफ़र
तय करना ही होगा
कभी चीड़ की ख़ुशबू लिए
ठण्डी बयार की तरह रिश्ते
कभी प्यार की बौछार करते ये रिश्ते
और कभी दुर्गन्ध छोड़ते रिश्ते
मानो डीज़ल का धुआँ छोड़ती
कोई बस पहाड़ पर चड़ रही हो
फिर भी पहाड़ के ये दुर्गम रास्ते
सदा ही अपनी ओर
आकर्षित करते हैं
ये रिश्ते भी सदा ही बुलाते हैं
बनते हैं बिगड़ते है
ज़िन्दगी के सफ़र में
खट्टी मीठी यादें
छोड़ जाते हैं
ज़िन्दगी को एक
रवानगी दे जाते हैं।
अलका काँसरा

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हाहा एक उचित और प्रासंगिक प्रशन- रास्ते तो बहुत हैं लेकिन फिर क्यों पहाड़ी टेड़े-मेढे और दुर्गम रास्ते ही क्यों ज़िन्दगी के सफ़र की तुलना करने के लिए चुने प्रश्न तो आपने किया है अलका जी से और उचित तो यही होगा की वे ही इसका उत्तर दें पर मुझे तो इतना ही पता चला है उनसे हुई पहली बातचीत से कि बचपन उनका भी मेरी तरह शिमला में ही गुज़रा था और बचपन के चित्रपट ही तो हमारे दिल की दीवारों पर टंगे मिलते हैं जब हम कल्पना की दुनियाँ में यादों का सहारा ले कर किसी नयें सफ़र के लिए निकलते हैं तो |
बहुत बढ़िया. आपने पहाड़ी रास्तों को ही क्यों चुना रिश्तों को दर्शाने के लिए?
रिश्ते निभाने इतने आसान नहीं होते । यह कोई सीधे सपाट रास्ते भी नहीं । इसलिए पहाड़ी रास्ते चुने । मुश्किल रास्तों से गुज़र कर ही पहाड़ की सुंदर ऊँचाइयाँ मिलती हैं ।
Very good metaphor. So many songs have been written based on this theme and they are all lovely, but yet ज़िन्दगी का सफ़र है यह कैसा सफ़र, कोई समझा नहीं, कोई जाना नहीं और यह सफ़र उन पुर-पेचदार रिश्तों को निभाने, समझाने का ही तो है | जीवन के सफ़र में रही, मिलते हैं बिछुड़ जाने को, और दे जाते हैं यादें, तन्हाई में तड़पाने को |