लेखक: राजगुरू द. आगरकर
अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
”Bastards! वे सोच रहे हैं कि अहिंसा और सत्याग्रह का अनुसरण करने से उन्हें कांग्रेस और कांग्रेस के नेता अपना लेंगे। मगर वे तो हमारी झूठी बातों में फँसकर कब के हमारी बंसी में अटक गए हैं!’’ पाँच सूत्री कार्यक्रम पढ़कर रॉटरे अपने आप से पुटपुटाया।
जब ‘तलवार’ में सेंट्रल कमेटी की बैठक चल रही थी उसी समय कैसेल बैरेक्स में एक अलग ही नाटक हो रहा था । गॉडफ्रे ने सैनिकों को अपने–अपने जहाज़ों और तलों पर पहुँचाने के लिए सख़्ती से ट्रक में बिठा दिया था। इन सैनिकों ने अपने–अपने जहाज़ों और तलों के सही–सही नाम न बताते हुए मुम्बई कैसल बैरेक्स, फोर्ट बैरेक्स, ‘तलवार’ आदि झूठे ही नाम बता दिये। परिणाम यह हुआ कि कैसल बैरेक्स में सैनिकों की संख्या छह हज़ार से ऊपर चली गई। सैनिक झुण्ड बना–बनाकर आगे क्या होने वाला है? उसका जवाब कैसे देना है? समय आने पर कौन–कौन किस–किस हथियार का प्रयोग करेगा? मोर्चे कहाँ बाँधना है? आदि के बारे में चर्चा कर रहे थे।
‘‘दोस्तो! तुम्हारे लिए मैं एक खुश ख़बरी लाया हूँ । सरकार ने तुम्हें बढ़ी हुई कीमतों पर खाद्य पदार्थों की, दूध की, मांस की, फलों की आपूर्ति करने का निर्णय लिया है। थोड़ी ही देर में सामान से लदा हुआ ट्रक आने वाला है। चलो, हम मेन गेट पर उसका स्वागत करें। सरकार तुम्हारी अन्य माँगें भी स्वीकार करने वाली है। तुम्हारा खाने–पीने का प्रश्न हल हो गया है। अब यह संघर्ष, हड़ताल आदि किसलिए? नौसेना का नाम क्यों बदनाम करना है? अपना संघर्ष वापस ले लो, ’’ सब. ले. नन्दा चिल्लाते हुए कैसल बैरेक में आया।
‘‘गद्दार है, साला!’’
‘‘सबक सिखाना चाहिए, पकड़ो साले को!’’
‘‘नहीं, मारने से क्या फायदा! उल्टे हम ही बदनाम हो जाएँगे।‘’
मारने के लिए भागकर जाने वालों को एक–दो सैनिकों ने रोका ।
नन्दा की ओर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। वह जैसे आया था वैसे ही वापस गया। सैनिकों की अपने संघर्ष के बारे में चर्चा चल ही रही थी।
‘‘सालों, हाथों में चूड़ियाँ भरो, चूड़ियाँ!’’ हरिचरण गुस्से से लाल हो रहा था।
‘‘क्यों यार, चिल्ला क्यों रहा है?’’ धर्मवीर ने पूछा।
‘‘बाहर वो गोरे बन्दर और लोग क्या कह रहे हैं, ज़रा सुनो!’’ हरिचरण चीखे जा रहा था। ‘‘दम ही नहीं है इन कालों में। ज़रा–सी घुड़की दी तो बैठ गए न पैरों में पूँछ दबा के?’’
‘‘सुबह दो कम्युनिस्ट कार्यकर्ता मिले थे, पूछ रहे थे कि क्या हमने मरी हुई माँ का दूध पिया है ? अरे, फिर चुप क्यों बैठे हो? चलो, उठो, विरोध करो, हम साथ हैं तुम्हारे।’’ मणी ने कहा, वह भी चिढ़ा हुआ था।
‘‘गोरों की ये हिम्मत? देखते हैं, आर्मी का पहरा कैसे नहीं हटाते?’’ धरमवीर की आवाज़ ऊँची हो गई थी। उसने चारों ओर इकट्ठा हुए सैनिकों पर नज़र डाली और चीखा, ‘‘अरे, सिर्फ देख क्या रहे हो? एक बाप की औलाद हो ना? फिर घेरा कैसे नहीं उठाते ये ही देखेंगे। गधे की… में ठूँसो उस अहिंसा को…असली बीज का जो होगा, वही मेरे साथ आएगा…’’ और वह गुस्से से दनदनाते हुए बाहर निकला। उसके पीछे–पीछे दो सौ सैनिकों का एक झुण्ड भी बाहर निकला।
भीतर से आती चीख–पुकार और उसके पीछे–पीछे सैनिकों का झुण्ड आता देखकर भूदल के अधिकारी ने कैसेल बैरेक्स का मेन गेट बन्द कर लिया और गेट से पचास कदम की दूरी पर सशस्त्र सैनिकों की एक टुकड़ी को गोलीबारी के लिए तैयार करके खड़ा किया।
‘‘सेकण्ड लेफ्टिनेंट क्रो, तुम जनरल बिअर्ड से सम्पर्क करो और उन्हें परिस्थिति के बारे में बताकर गोलीबारी की इजाजत माँगो!’’ उसने क्रो को दौड़ाया ।
सैनिकों का झुण्ड नारे लगाते हुए और चिल्लाते हुए आगे बढ़ा आ रहा था।
‘‘गेट खोलो! हमें बाहर जाना है!’’ दरवाजे को धक्के मारते हुए सैनिक चिल्ला रहे थे।
‘‘तुम बाहर नहीं जा सकते। वरिष्ठ अधिकारियों ने वैसा आदेश दिया है।’’ भूदल के लेफ्टिनेंट मार्टिन ने कहा।
”We care a hang for the bloody orders.” हरिचरण चीखा ।
‘‘बेस में खाना नहीं, पानी नहीं! हमें खाना खाने के लिए बाहर जाना है। चुपचाप गेट खोल दो।’’ मणी चिल्लाया।
‘‘गेट के बाहर जो खाने–पीने की चीज़ों से भरा ट्रक खड़ा है उसे उतरवा लो।’’ मार्टिन ने कहा।
‘‘हमें वह चीज़ें नहीं चाहिए। हमारी कमेटी ने वैसा निर्णय लिया है, ’’ हरिचरण चिल्लाया।
‘‘सैनिकों को पीछे हटाओ और हमें जाने दो।’’ धरमवीर चीखा।
मार्टिन हिला नहीं। सैनिकों ने नारे लगाना शुरू कर दिया।
‘जय हिन्द!’ ‘भारत माता की जय! ‘हिन्दू–मुस्लिम एक हों’ और धक्का–मुक्की की शुरुआत हो गई।
रॉटरे और गॉडफ्रे फॉब हाउस में मौजूदा हालात पर और व्यूह रचना के बारे में चर्चा कर रहे थे।
‘‘पूरी नौसेना को विद्रोह ने घेर लिया है। इस विद्रोह को हथियारों की सहायता से कुचल देना चाहिए। आज हालाँकि कांग्रेस और लीग विद्रोह से दूर हैं, फिर भी इस विद्रोह को यदि जनता का समर्थन मिला तो कांग्रेस और लीग दूर न रह पाएँगे और फिर परिस्थिति और गम्भीर हो जाएगी…’’ रॉटरे स्थिति स्पष्ट कर रहा था।
हॉल का फ़ोन बजने लगा, रॉटरे ने फ़ोन उठाया।
”Yes, speaking.’
रॉटरे के चेहरे के भाव हर पल बदल रहे थे।
”What’s the matter?” गॉडफ्रे ने पूछा ।
‘‘सर, बिअर्ड का फ़ोन है। कैसल बैरेक्स के सैनिक बेकाबू हो गए हैं। बड़ी तादाद में वे मेन गेट पर जमा हो गए हैं। वहाँ का अधिकारी ‘Open fire’ करने की इजाज़त माँग रहा है।’’ रॉटरे ने जवाब दिया।
गॉडफ्रे ने पलभर विचार किया, ‘सैनिकों को दहशत में रखना ही होगा।’ वह अपने आप से पुटपुटाया। रॉटरे को उसने आदेश दिया, ‘‘बिअर्ड से कहो, यदि जरूरत पड़े तो ‘Open fire’ करो; मगर तीन बार चेतावनी दो और उसके बाद ही फायर करो। एरिया कमाण्डर जेम्स स्ट्रीटफील्ड को कैसेल बैरेक्स जाने के लिए कहो। उसकी उपस्थिति में ही, जरूरत पड़ने पर, गोलीबारी की जाए।’’
सन्देश देकर रॉटरे ने फ़ोन रख दिया ।
फ़ोन फिर घनघनाया ।
‘‘रॉटरे।’’ रॉटरे ने जवाब दिया।
‘‘मैं ‘तलवार’ से खान बोल रहा हूँ। मुझे गॉडफ्रे से बात करनी है।’’ रॉटरे को खान पर गुस्सा ही आ गया। गॉडफ्रे के नाम का इस तरह, बिना किसी रैंक के, उल्लेख करना उसे अच्छा नहीं लगा।
”Sir, Call for you.”
‘‘कौन है?’’
‘That. bloody Khan, Leader of the mutineers.” गॉडफ्रे ने फ़ोन लिया।
‘‘गॉडफ्रे, हमें पता चला है कि कैसल बैरेक्स में सैनिक चिढ़ गए हैं। वे बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं। यदि आपने कोई भी ‘एक्स्ट्रीम’ कदम उठाया तो सैनिक उसका अच्छा–ख़ासा जवाब देंगे। कैसेल बैरेक्स में गोला–बारूद और अस्त्र–शस्त्रों का स्टॉक है यह न भूलिए। अगर आपने पाँच–पच्चीस सैनिकों को निशाना बनाया तो वे दो–चार ज्यादा ही गोरों को निशाना बनाएँगे।
‘‘मगर हम खून–खराबा नहीं चाहते। मैं और मेरे साथी उन्हें शान्त कर सकेंगे – ऐसा हमें विश्वास है। तुम हमें ‘तलवार’ से निकलने दो; इस सम्बन्ध में वहाँ के पहरेवाले अधिकारियों को सूचना दो।’’ खान ने परिणामों की कल्पना दी।
‘‘ठीक है। तुम कोशिश करो। यदि तुम कामयाब न हुए तो फिर परिणामों की परवाह किये बिना हम…’’ गॉडफ्रे ने कहा।
खान जब कैसल बैरेक्स के मेन गेट पर पहुँचा तो सैनिक हाथापाई पर उतर आए थे। खान को देखते ही उनका उत्साह दुगुना हो गया, नारे बढ़ गए। खान उन्हें शान्त करने की कोशिश कर रहा था मगर कोई सुनने के लिए तैयार ही नहीं था।
‘‘दोस्तो! हम कल सुबह चर्चा करेंगे। इस पहरे को उठाने के लिए रॉटरे और गॉडफ्रे पर दबाव डालेंगे; इन सैनिकों को हटाने पर मजबूर करेंगे। प्लीज़ तुम लोग बैरेक्स में वापस जाओ।’’ खान उन्हें मना रहा था।
‘‘हमने आज तक अहिंसा के मार्ग का अनुसरण किया, मगर हमेशा अहिंसा का जाप करने वालों ने हमें नहीं अपनाया। 1942 के आन्दोलन में सारे नेताओं को गिरफ्तार किया गया, और फिर आज़ादी के लिए उन्होंने पुलों को उड़ा दिया, पुलिस स्टेशन्स को आग लगा दी, खज़ाने लूट लिये, रेलवे को उड़ा दिया… उन्हें भी कांग्रेस में जगह मिल गई, मगर हमें कोरी सहानुभूति भी नहीं! नहीं। बस, अब तो हद हो गई। हम शान्त नहीं रहेंगे।’’ हरिचरण चिल्लाकर बोला ।
‘‘नहीं, नहीं, अब चुप बैठने का कोई मतलब नहीं है। उठो, तोड़ दो उस गेट को…’’ धरमवीर चीखा और सैनिक आगे बढ़े। खान समझ गया कि सैनिक भड़क उठे हैं। उनके मन की आग अब बुझेगी नहीं।
गेट के बाहर कमाण्डर जेम्स स्ट्रेटफील्ड खड़ा था। अपने हाथ में पकड़े ‘Drastic Action’ सम्बन्धी आदेश को दिखाते हुए वह चिल्लाया, ‘‘मैं तुम्हें दो मिनट का समय देता हूँ, अगर दो मिनटों में तुम पीछे नहीं हटे तो मैं तीन तक गिनती करूँगा और फिर ये आर्मी के सैनिक गोलीबारी शुरू कर देंगे। मैं तुम्हें पक्का बता देता हूँ, तुम्हारा आखिरी सैनिक गिरने तक ये गोलीबारी जारी रहेगी। इस खूनखराबे और हिंसा के लिए सिर्फ तुम लोग ही ज़िम्मेदार होगे!’’
‘‘दोस्तो! पीछे आओ!’’ खान विनती कर रहा था। ‘‘सरकार को एक बहाना मिल जाएगा कि सैनिकों के गैर ज़िम्मेदाराना बर्ताव के कारण उन्हें गोलीबारी करनी पड़ी। एक बार अगर हिंसा शुरू हो गई तो वह रुकेगी नहीं। इसलिए पीछे हटो!’’ खान रुआँसा हो गया था।
‘‘गोलीबारी की धमकी किसे दे रहा है?’’ धरमवीर ताव से आगे आकर जेम्स पर चिल्लाया, ‘‘तुम्हारे पास गोलियाँ हैं, मगर हमारे पास तोप के गोले हैं। अगर एक भी गोली चली तो बन्दरगाह के सारे जहाजों और तलों की तोपें आग उगलने लगेंगी और इस देश के सारे गोरे बन्दर तड़ी पार हुए बिना शान्त नहीं होंगी ।’’
जेम्स की चेतावनी और खान की विनतियों का सैनिकों पर ज़रा भी परिणाम नहीं हुआ था। उनकी चिल्ला–चोट बढ़ती जा रही थी।
Courtesy: storymirror.com

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